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प्रदेश की इन 5 हस्तियों को मिला पद्मश्री Padma Shri Award 2022

 

 भारत सरकार ने गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्‍या प र पद्म अलंकरणों की घोषणा कर दी है. इस साल मध्य प्रदेश के खाते में 5 पद्मश्री आए हैं. ये अपने-अपने क्षेत्र में विशेष काम करने वाली प्रदेश की 5 हस्तियों को  मिला पद्मश्री

  1.  डॉ एनपी मिश्रा (मरणोपरांत)     -  चिकित्सा के क्षेत्र में विशिष्ट सेवा
  2.  अर्जुन सिंह धुर्वे                         -   आदिवासी नृत्य के क्षेत्र में बेहतर काम
  3.  अवधकिशोर जड़िया                  -   साहित्य और शिक्षा में योगदान
  4.  राम सहाय पांडे                         -    कला के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य
  5. दुर्गा बाई व्याम                          -    कला के क्षेत्र बेहतरीन कार्य

 डॉ एनपी मिश्रा (मरणोपरांत)

  • चिकित्सकीय जगत के भीष्म पितामह और चिकित्सकों के संरक्षक वह अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त फिजिशयन थे

  • डॉ. मिश्रा ने कार्डियोलॉजी पर एक किताब लिखी थी, जो डीएम कार्डियोलॉजी के छात्र पढ़ते हैं। इस किताब का नाम प्रोग्रेस एंड कार्डियोलॉजी है। इसका विमोचन तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. शंकर दयाल शर्मा और ब्रिटेन के युवराज के हाथों किया गया था।
  •  डॉ. मिश्रा ने लाखों मरीजों का नि:शुल्क इलाज किया और हजारों की संख्या में अच्छे डॉक्टर तैयार किए। उनका जीवन बहुत निष्पक्ष और स्पष्टवादी रहा है। वह हमेशा डॉक्टरों और छात्रों की प्रति संवेदनशील रहते थे।
  • भोपाल गैस त्रासदी के समय डॉ.एनपी मिश्रा ने अपनी सूझबूझ का परिचय दिया था। उन्होंने कम समय में ऐसी व्यवस्था जमाई कि 10 हजार 7 सौ पीड़ितों का हमीदिया में इलाज संभव हो सकता था।
  • सन 1992 में इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिसिन ने उन्हें प्रतिष्ठित सर्वोच्च सम्मान डॉ. बीसी राय अवार्ड से अलंकृत किया था।
  • 1995 में एसोसिएशन आफ फिजीशियंस ऑफ इंडिया ने गिफ्टेड टीचर अवार्ड से सम्मानित किया था।

अर्जुन सिंह धुर्वे  

  •  बैगा जनजाति के अर्जुन सिंह धुर्वे को भी पद्मश्री सम्मान के लिए चयनित किया गया है। बैगा जनजाति के परधौनी नृत्य के कलाकार धुर्वे बैगा जनजातीय समुदाय के पहले स्नातकोत्तर रहे हैं। 
  • पिछले चार दशकों से वे जनजातीय कला को लोकप्रिय बनने के काम में लगे हैं। वह मुख्यमंत्री से लेकर प्रधानमंत्री के सामने बैगा नृत्य कर चुके हैं। प्रधान अध्यापक भी रह चुके हैं। 1993-94 में मप्र सरकार ने उन्हें तुलसी सम्मान से विभूषित किया। 
  • परधौनी बैगा जनजाति का मुख्य नृत्य माना जाता  इसे मुख्यतः विवाह के अवसर पर किया जाता है। इसमें बैल, मोर, हाथी, घोड़ा इत्यादि के मुखौटे का प्रयोग होता है।
नृत्य के लिये स्त्रियाँ शरीर पर ‘मुंगी लुगरा’ पहनती है। वे कलगी के अतिरिक्त बगई घांस के छोटे-छोटे छल्लों को मिलाकर बनाए गए सांकल नुमा ‘लाद्दा’ के  गुच्छे भी जूड़े में बांधती है।नृत्य के समय पुरुष सलूखा (कमीज) तथा काली जाकिट पहनते हैं तथा कमर के नीचे लहंगानुमा घेरेदार साया पहनते हैं। सिर पर ‘मोर पंख कलगी’ युक्त चकनुमा पगड़ी, गले में विभिन्न रंगों की मूंगा मालाएँ, गिलट या पीतल से बने सिक्के तथा कानों मे मूँगों-मोतियों के बाले पहनते है।  
 
अवधकिशोर जड़िया        
मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले के छोटे से नगर में रहने वाले अवध किशोर जड़िया को भारत सरकार ने पद्मश्री सम्मान देने की घोषणा की है। उन्हें शिक्षा और साहित्य के क्षेत्र में यह सम्मान दिया जा रहा है। 26 जनवरी के एक दिन पहले जैसी ही पद्मश्री सम्मान मिलने वालों के नाम की सूची जारी की, उसमें छतरपुर जिले के हरपालपुर नगर में रहने वाले अवध जड़िया का नाम भी था। जड़िया की पांच पुस्तकें अब तक प्रकाशित हो चुकी हैं।
साल 1977 में जड़िया की रचना 'वंदनीय बुंदेलखंड' प्रकाशित हुई। "ऊधव शतक", "कारे कन्हाई के कान लगी है" और "विराग माला "काव्य संग्रह अप्रकाशित रहे। इनको कला संस्कृति साहित्य विद्यापीठ मथुरा ने साहित्य अलंकार, श्री राम रामायण संस्कृति ट्रस्ट ग्वालियर ने "उदीयमान मानस मणि", अखिल भारतीय ब्रिज साहित्य संकाय आगरा ने "बुंदेली गौरव", अखिल भारतीय ब्रज साहित्य संगम मथुरा ने कवि शिरोमणि तथा साहित्य आनंद परिषद गोला गोकर्ण नाथ ने "काब रत्न" की उपाधियां मिली हैं।

राम सहाय पांडे    


26 जनवरी की पूर्व संध्या पर केंद्र सरकार ने पद्म पुरस्कारों की घोषणा कर दी है. इस बार केंद्र सरकार ने बुंदेलखंड अंचल को भी सम्मानित किया है, केंद्र सरकार ने सागर जिले के कलाकार रामसहाय पांडे पद्मश्री अवार्ड देने की घोषणा की है. 94 साल के रामसहाय पांडे बुंदेलखंड की प्रसिद्ध राई नृत्य में पारंगत है वह देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी राई नृत्य कर चुके हैं, उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर राई लोक नृत्य को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई
दुर्गा बाई व्याम

राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद जी ने मध्यप्रदेश की दुर्गाबाई व्याम को पद्मश्री प्रदान किया। उन्होंने गोंड शैली की जनजातीय चित्रकला को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई।


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