कौन हैं सिंधु ताई
सिंधु ताई का महाराष्ट्र के वर्धा जिले के चरवाहे परिवार से संबंध है। सिंधु ताई का बचपन वर्धा में बीता। उनका बचपन बहुत सारे कष्टों के बीच बीता। जब सिंधु नौ साल की थीं तो उनकी शादी एक बड़े उम्र के व्यक्ति से कर दी गई थी। सिंधु ताई ने केवल चौथी क्लास तक पढ़ाई की थी, वह आगे भी पढ़ना चाहती थीं लेकिन शादी के बाद ससुराल वालों ने उनके इस सपने को पूरा नहीं होने दिया।
सिंधु ताई को ससुराल और मायके में नहीं मिली जगह
पढ़ाई से लेकर ऐसे कई छोटे-बड़े मामले आए, जिसमें सिंधु ताई को हमेशा अन्याय का सामना करना पड़ा। उन्होंने इसके खिलाफ आवाज भी उठाई लेकिन अंजाम ये हुआ कि जब वह गर्भवती थीं तो ससुराल वालों ने उन्हें घर से निकाल दिया। इतना ही नहीं उनके मायके वालों ने भी अपने यहा रखने से मना कर दिया।
अकेले ही बच्ची को दिया जन्म
सिंधु ताई ने दर-दर की ठोकर खाईं। गर्भावस्था में संघर्ष के बीच उन्होंने एक बेटी को जन्म दिया। अकेले एक बच्चे को जन्म देना आसान नहीं था। अपने गर्भनाल को उन्होंने पत्थर से मार-मार कर काटा था। इसके बाद सिंधु मे अपनी बेटी के लिए रेलवे स्टेशन पर भीख तक मांगी। ये दौर उनकी जिंदगी का ऐसा समय था, जब सिंधु के मन में हजारों बच्चों की मां बनने का भाव जगा दिया एक समय ऐसा आया जब सिंधु ताई ने अपनी बच्ची को मंदिर पर छोड़ दिया लेकिन बाद में रेलवे स्टेशन पर उन्हें एक बच्चा मिला, जिसे उन्होंने गोद ले लिया। उनके मन में आया कि इन अनाथ बच्चों की जिम्मेदारी उन्हें उठना चाहिए। सिंधुताई अनाथ बच्चों के लिए खाने का इंतजाम करने लगी। हजारों बच्चों का पेट भरने के लिए सिंधु रेलवे स्टेशन पर भीख मांगने लगीं।
सिंधु ताई को मिला सम्मान
उनके इस नेक काम के लिए सिंधु ताई को अब तक 700 से ज्यादा सम्मान मिल चुके हैं। उन्हें अब तक मिले सम्मान से प्राप्त हुई रकम को सिंधु ताई ने अपने बच्चों के लालन पोषण में खर्च कर दिया। उन्हें डी वाई इंस्टिटूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड रिसर्च पुणे की तरफ से डाॅक्टरेट की उपाधि भी मिल चुकी है। उनके जीवन पर मराठी फिल्म मी सिंधुताई सपकल बनी है जो साल 2010 में रिलीज हुई थी। इस फिल्म को 54वें लंदन फिल्म फेस्टिवल में भी दिखाया जा चुका है।
0 टिप्पणियाँ