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पॉक्सो अधिनियम, 2012 (POCSO Act, 2012)


 पॉक्सो अधिनियम, 2012 (POCSO Act, 2012) 


पॉक्सो अधिनियम, 2012 (POCSO Act, 2012) की संपूर्ण जानकारी

परिचय

POCSO (Protection of Children from Sexual Offences) अधिनियम, 2012, भारत में बच्चों (18 वर्ष से कम आयु के व्यक्ति) को यौन शोषण, यौन उत्पीड़न और पोर्नोग्राफी से सुरक्षा प्रदान करने के लिए लागू किया गया एक विशेष कानून है। इसे 19 जून 2012 को पारित किया गया था और 14 नवंबर 2012 से लागू किया गया।

इस अधिनियम के तहत बच्चों के यौन शोषण से जुड़े अपराधों के लिए सख्त सजा का प्रावधान है और यह सुनिश्चित करता है कि पीड़ितों को तेजी से न्याय मिले।


POCSO अधिनियम के मुख्य प्रावधान

1. यौन अपराधों की परिभाषा

इस अधिनियम में बच्चों के साथ होने वाले विभिन्न प्रकार के यौन अपराधों को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है:

  • यौन उत्पीड़न (Sexual Harassment) – धारा 11:

    • यदि कोई व्यक्ति किसी बच्चे को अनुचित तरीके से छूता है, उसे अश्लील इशारे करता है, या आपत्तिजनक टिप्पणी करता है, तो यह अपराध माना जाएगा।
    • इस अपराध के लिए 3 साल तक की सजा और जुर्माने का प्रावधान है।
  • यौन शोषण (Sexual Assault) – धारा 7 और 8:

    • किसी बच्चे को जबरदस्ती छूना, उसके कपड़े उतारना, उसके गुप्त अंगों को छूना या जबरन उसे छूने के लिए मजबूर करना।
    • सजा: 3 से 5 साल की जेल और जुर्माना।
  • गंभीर यौन शोषण (Aggravated Sexual Assault) – धारा 9 और 10:

    • यदि यौन शोषण करने वाला व्यक्ति बच्चे का अभिभावक, शिक्षक, पुलिस अधिकारी या अन्य संरक्षक है, तो अपराध अधिक गंभीर माना जाएगा।
    • सजा: 5 से 7 साल की जेल और जुर्माना।
  • बलात्कार (Penetrative Sexual Assault) – धारा 3 और 4:

    • जबरदस्ती या धोखे से बच्चे के साथ संभोग करना या कोई वस्तु/अंग डालकर उसके गुप्त अंगों को क्षति पहुंचाना।
    • सजा: 10 साल से आजीवन कारावास और जुर्माना।
  • गंभीर बलात्कार (Aggravated Penetrative Sexual Assault) – धारा 5 और 6:

    • यदि अपराध किसी अक्षम, मानसिक रूप से विकलांग बच्चे के साथ किया जाता है, या अपराधी कोई अधिकारी/अभिभावक/नजदीकी रिश्तेदार हो।
    • सजा: आजीवन कारावास या मृत्यु दंड और जुर्माना।
  • बाल पोर्नोग्राफी (Child Pornography) – धारा 13, 14 और 15:

    • बच्चे की अश्लील तस्वीरें लेना, बनाना, बेचना, प्रसारित करना या बच्चों को पोर्नोग्राफी में शामिल करना।
    • सजा: 5 से 7 साल की जेल और जुर्माना।

2. पोक्सो अधिनियम के प्रमुख सिद्धांत

  1. लिंग-तटस्थ कानून (Gender Neutral Law):

    • यह अधिनियम लड़कों और लड़कियों दोनों को समान सुरक्षा प्रदान करता है।
  2. बाल मित्रवत न्याय प्रणाली (Child-Friendly Procedures):

    • बच्चे के बयान महिला पुलिस अधिकारी द्वारा रिकॉर्ड किए जाने चाहिए।
    • बच्चे को पुलिस थाने या जेल जैसे स्थानों पर नहीं रखा जाएगा।
    • बच्चे के बयान को कोर्ट में बंद कमरे (In-Camera Trial) में रिकॉर्ड किया जाएगा।
  3. तेजी से न्याय प्रक्रिया (Time-Bound Trial):

    • 60 दिन के भीतर जांच पूरी करनी होगी।
    • 1 साल के भीतर मुकदमे का फैसला आ जाना चाहिए।
  4. गोपनीयता बनाए रखना (Confidentiality of the Child’s Identity):

    • किसी भी मीडिया या व्यक्ति को पीड़ित बच्चे की पहचान उजागर करने की अनुमति नहीं होती।

3. पोक्सो अधिनियम के तहत सजा और दंड


4. POCSO संशोधन अधिनियम, 2019

POCSO अधिनियम में 2019 में संशोधन किया गया, जिसमें कुछ नए प्रावधान जोड़े गए:

  • नाबालिगों के साथ बलात्कार के मामलों में अधिक सख्त सजा:

    • 12 साल से कम उम्र की बच्चियों के बलात्कार के लिए मृत्युदंड का प्रावधान
    • गंभीर अपराधों में आजीवन कारावास।
  • बाल पोर्नोग्राफी के खिलाफ सख्त कार्रवाई:

    • ऑनलाइन माध्यमों से बाल पोर्नोग्राफी बनाने, साझा करने या देखने वालों के खिलाफ 5 से 7 साल की जेल
  • तेजी से न्याय:

    • पुलिस को 3 महीने के अंदर जांच पूरी करनी होगी।
    • फास्ट ट्रैक कोर्ट के जरिए मामले का 6 महीने में निपटारा

5. POCSO के तहत शिकायत कैसे करें?

1. पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराना:

  • 1098 (चाइल्ड हेल्पलाइन नंबर) पर कॉल करें।
  • नजदीकी पुलिस स्टेशन में FIR दर्ज कराएं

2. ऑनलाइन शिकायत:

  • राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) की वेबसाइट पर ऑनलाइन शिकायत दर्ज करें: www.ncpcr.gov.in

3. अदालत में मामला दर्ज कराना:

  • कोई भी व्यक्ति मजिस्ट्रेट या POCSO कोर्ट में जाकर मामला दर्ज कर सकता है।

6. POCSO कानून से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण पहलू

  1. झूठी शिकायत पर दंड:

    • यदि कोई व्यक्ति जानबूझकर झूठी शिकायत दर्ज करता है, तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।
  2. बच्चों की सुरक्षा के लिए शिक्षण संस्थानों की जिम्मेदारी:

    • स्कूलों, कॉलेजों और शिक्षण संस्थानों को POCSO नियमों का पालन करना अनिवार्य है।
  3. माता-पिता और अभिभावकों की भूमिका:

    • बच्चों को अच्छे और बुरे स्पर्श (Good Touch & Bad Touch) के बारे में जागरूक करना।
    • किसी भी संदिग्ध गतिविधि पर तुरंत पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराना।

निष्कर्ष

POCSO अधिनियम, 2012 भारत में बच्चों को यौन अपराधों से सुरक्षा प्रदान करने वाला एक कठोर और प्रभावी कानून है। इस अधिनियम के तहत तेजी से न्याय, सख्त सजा और बाल मित्रवत न्याय प्रक्रिया सुनिश्चित की गई है।

यदि आपको POCSO अधिनियम से संबंधित और जानकारी चाहिए, तो बताइए!


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