आज किसान नेताओं ने औपचारिक रूप से अपना आंदोलन ख़त्म होने की घोषणा की है। चुनाव के चलते ही सही पर सरकार ने किसानों की ज़्यादातर मांगे मान ली है। किसानों का यह आंदोलन एक साल से भी अधिक समय तक चला और 700 से ज़्यादा किसानों की सहादत भी हुवी। सरकार ने किसानों पर लाठी, डंडे और पानी की बौछारे की, रास्तो पर किले गाड़ी गई, इन्हें देश द्रोही और खालिस्तानी कहा गया पर वे डटे रहे। बारिश, ठंड और धूप में बैठे रहे पर पिछे नही हटे। देश के हर नागरिक को यह आंदोलन अपनी लड़ाई में डंटे रहने में विश्वास और भरोसा दिलाएगा। यह स्वतंत्र भारत का एक ऐतिहासिक आंदोलन रहा है। यह किसानो की जीत और अहंकारी सरकार की हार है।
किसान आंदोलन से संबंधित बाकी मांगों को भी सरकार ने आज मान लिया है जिसमें उन्होंने किसान आंदोलन के दौरान गिरफ्तार किए गए आंदोलनकारी गिरफ्तार किए गए आंदोलनकारियो पर लगाए गए मुकदमों को वापस लेने का भी निर्णय लिया साथ ही आंदोलन के दौरान मारे गए अनेक किसानों को मुआवजा राशि प्रदान करने का भी निर्णय लिया किसानों की दूसरी मांगों में शामिल मुख्य रूप से एमएसपी की गारंटी के लिए स्थाई समाधान निकालने का आश्वासन दिया और एमएसपी में बड़े बदलाव से इनकार किया सरकार ने एक पत्र जारी कर किसानों से आंदोलन समाप्त करने की मांग की जिसके बाद आंदोलनकारियों ने पर यकीन रखते हुए अपने आंदोलन को समाप्त करने की घोषणा की और सड़क पर लगे आंदोलनकारियों के टेंट व तंबू को निकालना आरंभ कर दिया है
0 टिप्पणियाँ